Kangra News: क्या गुजरी होगी, उस बहन पर जिसने बीसियों बार कलाई पर राखी बांध कर अपनी आजीवन सुरक्षा का शुभाशीष जिससे पाया हो, जिसने जिस भाई के हाथों लाल जोड़े में पीहर से नया संसार बसाने के वक्त विदाई पाने के सपने संजोए हों, उसी बहन को अपने बड़े भाई को समय से पहले ही संसार से रुख्सत करने की रस्में निभानी पड़ जाएं, तो ऐसे अनचाहे दृश्य की कल्पना मात्र से मन सिहर उठता है। कितना साहस बटोर कर जुटाना पड़ा होगा अभागी बहन काजल को, जिसे गुरुवार को मातृभूमि की बलिबेदी पर अपने प्राण न्यौछावर करने वाले मां भारती के लाडले बेटे और अपने इकलौते बड़े भाई को न केवल अंतिम विदाई देनी पड़ी, बल्कि सदा के लिए बिछड़े भाई को मुखाग्नि देकर परिवार के लिए एक-दूसरे बेटे का फर्ज भी निभाना पड़ा हो। नगरोटा बगवां के छोटे से गांव लिल्ली में जनमा 24 वर्षीय हैप्पी जानता था कि पिता छोटे से गांव में छोटी सी सब्जी की फड़ी से परिवार की गाड़ी को वर्तमान परिस्थितियों में ज्यादा देर नहीं धकेल सकते। गत चार वर्षों में उसने अपने नागरिक व पारिवारिक कत्र्तव्यों का बखूबी निर्वहन भी किया । अपने मृदु स्वभाव से वह गांव का भी चहेता बन गया । यही वजह है कि ड्यूटी के दौरान लेह की सर्द फिजाओं में जो उसे आघात मिला उसका कोई उपचार न हो पाया और भारतीय सेना की 26 पंजाब रेजिमेंट का एक ओर जांबाज दुनिया को अलविदा कह गया। सोमवार को आई मौत की खबर परिवार के लिए किसी बज्रपात से कम नहीं थी।

 

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