Chamba Local News: पर्यटक नगरी डलहौजी में पर्यटकों के कदम रोकने के लिए नए पर्यटन स्थलों को विकसित करने की कोई योजना धरातल पर नहीं उतर पाई है। पर्यटन स्थलों की सीमित संख्या के कारण डलहौजी में घूमने आने वाले पर्यटकों का ठहराव दो-दिन से अधिक नहीं रहता है। इसके अलावा, विख्यात पर्यटन स्थलों में खजियार, कालाटोप, पंजपूला और राक गार्डन आदि में भी पिछले कई वर्षों से नयापन नहीं देखा जा रहा है। इससे पर्यटकों की संख्या दिन प्रतिदिन कम हो रही है, जिससे शहर के पर्यटन व्यवसाय पर असर पड़ रहा है। यदि शहर में निजी शिक्षण संस्थान नहीं हैं तो यहां का पर्यटन व्यवसाय शून्य में ही सिमट जाएगा।
पर्यटक स्थल कालाटोप को वन्यजीव अभ्यारण्य के रूप में जाना जाता है। पर्यटक भी वन्य प्राणियों को देखने की चाहत रखते हैं, लेकिन उन्हें निराशा ही मिलती है। इसी तरह, यदि गोपालपुर चिड़ियाघर की तरह यहाँ भी चिड़ियाघर बना दिया जाए, तो पर्यटकों को आकर्षित किया जा सकता है। इसी तरह, अन्य पर्यटन स्थलों पर भी कई प्रकार की मूलभूत सुविधाओं के आभाव से पर्यटन को गति नहीं मिल पाई है। पर्यटन कारोबार से जुड़े लोगों का कहना है कि पर्यटकों की सुविधा और ठहराव में वृद्धि के लिए इन पर्यटन स्थलों सहित करेलणू, गुवांड, लक्कड़मंडी और कालाटोप को विकसित किया जा सकता है। इसके लिए प्रदेश सरकार को एक कार्ययोजना के तहत कार्य करने की जरूरत है ताकि इस नगरी के पर्यटन व्यवसाय को राहत मिल सके। इसलिए, पर्यटक नगरी डलहौजी की नैर्सिगक सुंदरता तो कुदरत की देन है, जिससे यहाँ पर्यटन व्यवसाय को विकसित करने के लिए सरकार की ओर से अभी तक कोई बड़ी योजना नहीं बन पाई है।