Bilaspur News: इतिहास के पन्नों में बिलासपुर का नाम एक महत्वपूर्ण रोल निभाता है। उस समय बिलासपुर सी-स्टेट का हिस्सा था। देश में 1952 में हुए प्रथम लोकसभा चुनाव में बिलासपुर के अंतिम राजा आनंद चंद निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में विजयी हुए थे। 1954 में हिमाचल में विलय होने के बाद बिलासपुर प्रदेश का 5वां जिला बन गया था। इस जिले के विकास में राजा आनंद चंद की महत्वपूर्ण भूमिका थी। 1947 में भारत के स्वतंत्र होने के बाद भाखड़ा बांध की योजना बन रही थी, जिसमें राजा आनंद चंद ने अपने अथक प्रयासों से सी-स्टेट का दर्जा प्राप्त किया।
उस समय हिमाचल प्रदेश में चार जिले थे, जिनमें महासू, मंडी, सिरमौर और किन्नौर शामिल थे। पहले लोकसभा चुनाव में बिलासपुर से निर्दलीय प्रत्याशी राजा आनंद चंद ने जीत हासिल की। उनके मुकाबले कांग्रेस पार्टी के प्रत्याशी बाबू हरदयाल को राजा आनंद चंद की विजय के बाद अपना नाम वापस लेना पड़ा।
प्रसिद्ध कवि और लेखक शक्ति चंदेल ने अपनी किताब में लिखा है कि 1952 के लोकसभा चुनाव के बाद राजा आनंदचंद को पंडित जवाहरलाल नेहरू से मिलाया गया था, जिसमें उन्होंने नेहरू के सामने अद्भुत बयान दिया था।
राजा आनंदचंद ने पहले लोकसभा सांसद के रूप में भी कार्य किया और फिर स्वतंत्र पार्टी के गठन के बाद उन्होंने राज्यसभा के सदस्य के रूप में भी कार्य किया। उन्हें उनके सेवानिवृत्ति के लिए प्रशंसा मिली।