Himacha News: राज्य सरकार ने जेबीटी और सीएंडवी शिक्षकों के आपसी सहमति से होने वाले अंतर जिला तबादलों को पांच फीसदी कैडर शर्त से छूट दे दी है। शुक्रवार को शिक्षा सचिव की ओर से इस बारे में प्रारंभिक शिक्षा निदेशालय को पत्र जारी किया गया। सरकार के इस निर्णय से जेबीटी और सीएंडवी शिक्षकों को बड़ी राहत मिली है। अब उन्हें पंजीकृत सेवाकाल के साथ पांच वर्ष तक सेवा प्रदान करने का अधिकार होगा। इन शिक्षकों के स्थानांतरण के लिए जिलावार कैडर संख्या में पांच फीसदी की शर्त लागू रहेगी। पिछले महीने सरकार ने सरकारी स्कूलों में सेवारत 25 हजार जेबीटी और 18 हजार सीएंडवी शिक्षकों के सेवाकाल में एक बार अंतर जिला स्थानांतरण को रोका था, जो जयराम सरकार के अधिसूचना के तहत 20 नवंबर 2021 को जारी किया गया था। पिछले वर्ष बड़ी संख्या में तबादलों के आवेदन आने के कारण कुछ समय के लिए इस तरह की रोक लगी थी। शिक्षा विभाग के अधिकारियों ने बताया कि शिक्षकों की इन दोनों श्रेणियों की जिलावार कैडर संख्या में पांच प्रतिशत स्थानांतरण को एक वर्ष के अंतराल में करने की मंजूरी दी गई है। कुछ जिलों के स्पष्टीकरण के बाद सरकार ने इस शर्त को संशोधित करते हुए आपसी सहमति से होने वाले अंतर जिला तबादलों को इस से बाहर निकाल दिया है। इन शिक्षकों का सेवाकाल पूरा होने पर उन्हें दूसरे जिलों में तबादला मिलता था, लेकिन अब इस अवधि को पांच वर्ष कर दिया गया है। अंतर जिला नीति के तहत स्थानांतरण चाहने वाले शिक्षकों को अपने प्रार्थना पत्र को संबंधित जिले के प्रारंभिक शिक्षा उपनिदेशक के कार्यालय में जमा करवाना होगा। सहकारी समितियों को अब प्रदेश में अपने शुद्ध लाभ से तीन फीसदी एजुकेशन फंड चुकाना होगा। राज्य सरकार ने कोआॅपरेटिव सोसायटी नियम 1971 को संशोधित किया है और पहली बार सहकारी समितियों से एजुकेशन फंड लेने का निर्णय लिया है। इसके लिए
शुक्रवार को सहकारिता विभाग ने राजपत्र में अधिसूचना जारी की है। प्रदेश में कुल 5247 सहकारी समितियाँ हैं और नए वित्त वर्ष से इन समितियों को एजुकेशन फंड चुकाने का विकल्प दिया गया है। इस निधि में योगदान प्रत्येक पंजीकृत सोसायटी द्वारा रुपये की दर पर किया जाएगा। योगदान की गई राशि का 300 रुपये या तीन फीसदी का मान, जो भी अधिक होगा, प्राप्त शुद्ध लाभ का हिस्सा होगा। तीन फीसदी सहकारी शिक्षा निधि की राशि में से एक फीसदी को हिमाचल प्रदेश सहकारी विकास महासंघ द्वारा और दो फीसदी को सहकारी समितियों द्वारा अपने स्तर पर योगदान करने का प्रस्ताव किया गया है। लाभ के अधिकतम तीन फीसदी से अधिक का योगदान करने की इच्छुक किसी भी समिति को रजिस्ट्रार की पूर्व अनुमति के साथ किया जा सकेगा, लेकिन इसे वर्ष के शुद्ध लाभ का पांच फीसदी से अधिक नहीं होना चाहिए।