kangra News: जगत में ऐसी कोई समस्या नहीं है, जिसका समाधान मां दुर्गा के पाठ से न हो। इस पाठ के अनुष्ठान करने वाले के लिए विश्व में कुछ भी असंभव नहीं है। यह पाठ गायत्री मंत्र और सभी देवताओं के मंत्रों के तुल्य है, जो उसकी अत्यधिक शक्तिशाली बनाते हैं। इस पाठ का जाप करने से व्यक्ति वेदवेत्ताओं के समान हो जाता है, ब्रह्मा के समान। मां दुर्गा अद्वितीय हैं, उनके कथन के अनुसार यह पाठ केवल महाब्रह्मर्षि ही सिखा सकते हैं, और उनके अवधान में ही सारे दु:ख, रोग, कष्ट और समस्याओं का समाधान होता है। मां एक मिनट में ही करोड़ों पृथ्वी, चंद्रमा, तारे, ग्रह पैदा करती हैं, इस अद्वितीय शक्ति के आगे जगत की कोई भी शक्ति नहीं बर्बाद हो सकती है। भक्तजन इसके विभिन्न रूपों की अलग-अलग प्रार्थनाओं से उन्हें प्रसन्न करते हैं। ये विचार भावुक अंतरात्मा को गहराई से छू जाते हैं।
इस समागम में श्रद्धालुओं के अनुभवों को सुनकर उन्हां अद्भुत अनुभवों से अचंभित हो गए, जो डाक्टर, वैज्ञानिक और बुद्धिजीवियों के लिए एक अद्भुत अनुभव था। समागम में शामिल श्रद्धालुओं के लिए निरंतर रूप से लंगर सेवित किया गया। महाब्रह्मर्षि ने बताया कि जब उन्होंने महामहिम राष्ट्रपति श्रीमती द्रौपदी मुर्मू से मिलकर उन्हें यूटीआई के बारे में बताया और सनातन की शक्ति के बारे में बताया, तो उनकी आश्चर्यजनक प्रतिक्रिया हुई। समागम में, भगवान श्री लक्ष्मी नारायण धाम के महामंत्री और मंच संचालक ने बताया कि आज मंत्रों की शक्ति को मुस्लिम देशों ने भी स्वीकार कर लिया है। अबू धाबी में आयोजित धर्म संसद में 200 देशों के प्रतिनिधि शामिल थे, जिसमें भारत से केवल महाब्रह्मर्षि जी को बुलाया गया था।