Himachal News: जिला ऊना के गगरेट विधानसभा क्षेत्र में इस बार विधानसभा उपचुनावों में रोचक मुकाबला देखने को मिलेगा। पिछले पांच दशकों से भाजपा और कांग्रेस के बीच इस सीट पर सीधी भिड़त होती आई है। भाजपा ने उपचुनाव के लिए कांग्रेस को छोड़ भाजपा में शामिल हुए चैतन्य शर्मा को प्रत्याशी बनाकर चुनावी समर में उतार दिया है। चैतन्य शर्मा के भाजपा में शामिल होने के बाद भाजपा कैडर में उठे जबरदस्त असंतोष को भाजपा हाईकमान ने दखल देकर शांत तो जरूर करवाया है, लेकिन पार्टी कार्यकर्ता चैतन्य शर्मा का उपचुनाव में कितना साथ देते है, यह यक्ष प्रश्न बना हुआ है। चैतन्य शर्मा के विरुद्ध 2022 में विधानसभा चुनाव हार चुके भाजपा नेता पूर्व विधायक राजेश ठाकुर बेशक कार्यकर्ताओं से कमल के फूल का साथ देने की भावनात्मक अपील कर चुके है, लेकिन जमीनी हकीकत अभी चैतन्य शर्मा के लिए काफी चुनौतीपूर्ण बनी हुई है। चैतन्य शर्मा के भाजपा प्रत्याशी बनाए जाने के बाद बदले राजनीतिक घटनाक्रम में 14 माह पहले पार्टी टिकट काटे जाने से खफा हुए पूर्व विधायक राकेश कालिया ने अब भाजपा से इस्तीफा दे दिया है। पार्टी सूत्रों की मानें तो उपचुनाव में राकेश कालिया के नाम पर पार्टी गंभीरता से विचार कर रही है तथा राकेश कालिया को पार्टी प्रत्याशी बनाकर कांग्रेस बड़ा दावं खेल सकती है। कांग्रेस टिकट के लिए यहां से रमन जस्वाल व कुलदीप कुमार के नामों पर भी पार्टी विचार कर रही है। इसके अलावा रंजीत राणा, ब्रजेश डोगरा व सरोज शर्मा ने भी यहां अपनी दावेदारी जता रखी है। एचडीएम कुलदीप कुमार-साधु राम जमा चुके हैट्रिक कांग्रेस यहां दस बार विधानसभा चुनाव जीतने में सफल रही है, भाजपा भी चार बार इस क्षेत्र में भगवा लहरा चुकी है। कांग्रेस के कुलदीप कुमार व भाजपा के मास्टर साधु राम तीन बार, विजयी रहे हैं।
कौन, कब रहा विधायक
वर्ष विधायक पार्टी
1952 खुशी राम कांग्रेस
1957 कृष्णा मोहिनी कांग्रेस
1962 मोहन लाल दत्त आजाद
1967 महंगा सिंह कांग्रेस
1972 महंगा सिंह कांग्रेस
1977 मा.साधुराम जनता पार्टी
1982 मा. साधु राम भाजपा
1985 मिल्खी राम कांग्रेस
1990 मा. साधु राम भाजपा
1993 कुलदीप कुमार कांग्रेस
1998 कुलदीप कुमार कांग्र्रेस
2003 कुलदीप कुमार कांग्रेस
2007 बलबीर सिंह भाजपा
2012 राकेश कालिया कांग्रेस
2017 राजेश ठाकुर भाजपा
2022 चैतन्य शर्मा कांग्रेस
प्रदेश के पुनर्गठन के बाद जितने भी विधानसभा चुनाव हुए उनमें न तो भाजपा और न ही कांग्रेस ने किसी महिला प्रत्याशी पर विश्वास जताया है। हालांकि कांग्रेस ने वर्ष 1957 में कृष्णा सेठी को जरूरमैदान में उतारा था और वह चुनाव जीतने में भी सफल रही थीं लेकिन उसके बाद महिला उम्मीदवार किसी भी राजनीतिक दल को यहां से जिताऊ उम्मीदवार नहीं लगा।गगरेट की जनता ने वर्ष 1962 में ही यहां से मोहन लाल दत्त के रूप में आजाद प्रत्याशी को जिताकर विधानसभा भेजा था। वर्ष 1952 में यहां से खुशी राम गुप्ता के रूप में कांग्रेस के विधायक जीते तो वर्ष 1957 में कृष्णा सेठी के रूप में कांग्रेस की ओर से एकमात्र महिला उम्मीदवार ही चुनाव जीत पाई है। 1962 में मोहन लाल दत्त ने बतौर आजाद उम्मीदवार यहां से चुनाव जीता तो वर्ष 1967 से1977 तक कांग्रेस के महंगा सिंह यहां से विधायक रहे। 1977 में जनता पार्टी की ओर से मास्टर साधु राम ने पहली बार जनता पार्टी तथा दूसरी बार 1982 में भाजपा टिकट पर चुनाव जीता। 1985 में कांग्रेस के मिल्खी राम भैरा ने यहां से चुनाव जीत कर फिर से कांग्रेस की इस परंपरागत सीट पर कांग्रेस का कब्जा करवाया, लेकिन 1990 में फिर से मास्टर साधु राम यहां से जीत दर्ज करने में कामयाब रहे।1993 के चुनाव में कुलदीप कुमार ने यहां से कांग्रेस की जीत की ऐसी नींव रखी कि फिर लगातार तीन चुनावों में कांग्रेस ही यहां से जीत दर्ज करती रही लेकिन 2007 में भाजपा के बलवीर चौधरी ने कांग्रेस के जीत के सिलसिले को रोकते हुए यहां से जीत दर्ज की। 2012 में पुनर्सीमांकन के बाद आरक्षित से अनारक्षित श्रेणी में आए इस विधानसभा क्षेत्र से कांग्रेस के राकेश कालिया को चुनाव मैदान में उतारा गया तो उन्होंने फिर से कांग्रेस के इस दुर्ग की लाज रखी लेकिन 2017 के चुनाव में भाजपा द्वारा चुनाव मैदान में उतारे गए राजेश ठाकुर यहां से 9320 मतों के अंतर से जीत दर्ज करने में कामयाब रहे। 2022 में कांग्रेस के चैतन्य शर्मा ने यहां से 15685 मतों के विशाल अंतर से जीत दर्जकर रिकार्ड बनाया।