Himachal News: वन्य प्राणी विभाग के फ्रंट लाइन कर्मचारी अब बर्फबारी से पहले जंगली जानवरों को संजीवनी तरीके सिख रहे हैं। यह रिहायशी क्षेत्रों में घुसने वाले जानवरों को बिना किसी क्षति के नियंत्रित करने के तरीके के बारे में जागरूकता बढ़ा रहा है। वर्तमान में, ये फ्रंट लाइन कर्मचारी जानवरों के चोटियों पर दवाओं और इंजेक्शनों का उपयोग करने के लिए भी प्रशिक्षण प्राप्त कर रहे हैं। सर्दियों में तेंदुओं और भालुओं के हमले बढ़ जाते हैं, खासकर ऊंचाइयों में, जब बर्फबारी आती है। इस प्रकार, अब वन्य प्राणी विभाग फ्रंट लाइन कर्मचारियों को बिना किसी क्षति पहुंचाए जानवरों को नियंत्रित करने के तरीकों का प्रशिक्षण दे रहा है।
वन्य प्राणी विभाग ने इस संदर्भ में एक प्रशिक्षण कार्यशाला का आयोजन किया है, जिसमें प्रदेश के विभिन्न क्षेत्रों से आए 14 वन मंडलों के 32 प्रतिभागियों को प्रशिक्षित किया गया। इस कार्यशाला की अध्यक्षता अतिरिक्त प्रधान मुख्य अरण्यपाल वन्यप्राणी विभाग के अनिल ठाकुर ने की है। उन्होंने बताया कि इस प्रकार की कार्यशाला का मुख्य उद्देश्य वन विभाग के फ्रंट लाइन कर्मचारियों को वन्यप्राणियों के रेस्क्यू और रिलीज प्रक्रिया में पूरी तरह सक्षम बनाना है, ताकि हिमाचल प्रदेश के किसी भी क्षेत्र में अगर मानव और वन्यप्राणियों के बीच संघर्ष की कोई घटना होती है, तो वन विभाग के फ्रंट लाइन कर्मचारी वन्यप्राणियों को सुरक्षित तरीके से पकडऩे और रिलीज करने के लिए पूरी तरह तैयार हो सकें।