Himachal News Updates: फ्रांस के राष्ट्रीय कृषि, खाद्य एवं पर्यावरण अनुसंधान संस्थान (आईएनआरएई) के चार वैज्ञानिकों की एक टीम ने शुक्रवार को मुख्यमंत्री ठाकुर सुखविंद्र सिंह सुक्खू से मुलाकात की। इस टीम का नेतृत्व एलआईएसआईएस के उप निदेशक प्रो. एलिसन मैरी लोकोंटो कर रहे थे, और टीम में प्रो. मिरेइल मैट, डॉ. एवलिन लोस्टे और डॉ. रेनी वैन डिस शामिल थे। ये वैज्ञानिक हिमाचल प्रदेश में प्राकृतिक खेती के क्षेत्र में हो रही प्रगति की जानकारी लेने के लिए दौरे पर आए थे।
बैठक के दौरान, मुख्यमंत्री ने बताया कि हिमाचल प्रदेश प्राकृतिक खेती के क्षेत्र में सबसे आगे है। हिमाचल प्रदेश वह पहला राज्य है जो प्राकृतिक खेती से उगाए गए उत्पादों के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य प्रदान करता है। राज्य में गेहूं को 40 रुपए प्रति किलोग्राम और मक्का को 30 रुपए प्रति किलोग्राम की दर से खरीदा जा रहा है। साथ ही, गाय का दूध 45 रुपए प्रति लीटर और भैंस का दूध 55 रुपए प्रति लीटर की दर से खरीदा जा रहा है। मुख्यमंत्री ने प्राकृतिक खेती में उत्पाद प्रमाणन के महत्व पर जोर दिया और बताया कि प्रदेश में सीटारा प्रमाणन प्रणाली शुरू की गई है, ताकि किसानों को उनके उत्पाद का उचित मूल्य मिल सके। उन्होंने यह भी कहा कि हिम-उन्नति योजना के तहत क्लस्टर आधारित दृष्टिकोण के साथ रसायन मुक्त उत्पादन और प्रमाणन का काम किया जा रहा है, जिसमें लगभग 50,000 किसानों को शामिल करने और 2,600 कृषि समूह स्थापित करने की योजना है।
इसके अलावा, राज्य सरकार डेयरी क्षेत्र को बढ़ावा देने और दूध उत्पादन बढ़ाने के लिए भी काम कर रही है। आईएनआरएई के वैज्ञानिक तीन हफ्ते तक डॉ. वाईएस परमार बागबानी एवं औद्यानिकी विश्वविद्यालय नौणी और राज्य के अन्य स्थानों का दौरा करेंगे। उनका दौरा यूरोपीय आयोग द्वारा वित्त पोषित एक्रोपिक्स परियोजना का हिस्सा है, जिसका उद्देश्य कृषि-पारिस्थितिकी फसल संरक्षण में नवाचार को बढ़ावा देना है। प्रतिनिधिमंडल ने राज्य सरकार द्वारा प्राकृतिक खेती को बढ़ावा देने के प्रयासों और सीटारा प्रमाणन प्रणाली की सराहना की और कहा कि आईएनआरएई इस प्रमाणन प्रणाली को अन्य देशों में अपनाने की संभावना पर विचार करेगा। इस बैठक में शिक्षा मंत्री रोहित ठाकुर, मुख्य संसदीय सचिव संजय अवस्थी, विधायक सुरेश कुमार, विवेक शर्मा, नीरज नैयर, विनोद सुल्तानपुरी, रणजीत सिंह राणा, सुदर्शन बबलू, कृषि सचिव सी. पालरासू, बागबानी निदेशक विनय सिंह, और डॉ. वाईएस परमार बागबानी एवं औद्यानिकी विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. राजेश्वर चंदेल सहित अन्य गणमान्य लोग उपस्थित थे।