Kangra News Updates: राजकीय वरिष्ठ माध्यमिक पाठशाला पराल स्कूल में स्टाफ की कमी के कारण बच्चों का भविष्य अनिश्चितता में है। शिक्षा विभाग की लापरवाही से बच्चे अपने शिक्षा के अधिकार से वंचित होते नजर आ रहे हैं। यहां पर लगभग 176 बच्चों के लिए सिर्फ तीन अध्यापक हैं, जबकि इंदौरा के स्कूलों में स्टाफ की अधिकता है। इसके बावजूद पराल स्कूल को राजनीति का केंद्र बना दिया गया है और बच्चों के भविष्य से खिलवाड़ किया जा रहा है। प्लस वन और प्लस टू क्लासों के लिए कोई भी अध्यापक नहीं है। पिछले दो साल से शिक्षा विभाग का इंस्पेक्शन सैल भी स्कूल का दौरा नहीं किया है, जो एक बड़ा सवाल है।
शिक्षा विभाग ने पराल स्कूल में जनवरी 2022 से इंग्लिश, अप्रैल 2015 से हिंदी, दिसंबर 2020 से हिस्ट्री, अप्रैल 2022 से संस्कृति और अप्रैल 2015 से आईपी के लेक्चरार की पोस्ट खाली रखी है। इसके अलावा, टीजीटी मैथ दो साल के लिए स्टडी लीव पर हैं, मार्च 2024 से टीजीटी आर्ट्स, फरवरी 2023 से भाषा अध्यापक, अप्रैल 2015 से शास्त्री अध्यापक, मई 2013 से ड्राइंग अध्यापक और दिसंबर 2017 से शारीरिक शिक्षा के अध्यापक की पोस्ट भी खाली हैं। फरवरी 2024 से प्रिंसिपल और अप्रैल 2017 से सीनियर असिस्टेंट की पोस्ट भी खाली पड़ी है। इस स्थिति को देखते हुए अभिभावक अपने बच्चों को प्राइवेट स्कूलों में भेजने को मजबूर हो रहे हैं।
पराल और मलकाना पंचायत के ग्रामीणों को कांग्रेस सरकार की शिक्षा व्यवस्था पर गहरा रोष है, क्योंकि सरकार ने व्यवस्था में कोई सुधार नहीं किया। स्कूल प्रबंधन समिति की प्रधान राधा रानी ने कई बार शिक्षा विभाग को इस समस्या के बारे में सूचित किया है और धरना-प्रदर्शन भी किया है, लेकिन विधायक मलेंदर राजन समेत किसी ने इस समस्या का हल नहीं निकाला। अब स्कूल प्रबंधन के पास ताला लगाने के अलावा कोई विकल्प नहीं बचा है। डिप्टी डायरेक्टर कंचन ज्योति ने कहा कि उन्हें आपके माध्यम से जानकारी मिली है और पिछले दो साल से इंस्पेक्शन सैल के दौरे न होने पर वे हैरान हैं। वे जल्द ही इस समस्या का समाधान करने की कोशिश करेंगी।