Himachal News: हिमाचल प्रदेश में सड़क निर्माण के लिए हिमाचल सरकार उत्तर प्रदेश के मॉडल को अपनाएगी, जिसमें 666 किलोमीटर सड़कों का निर्माण होगा उखाड़ी गई सामग्री का उपयोग किए बिना। यह नयी तकनीक सड़क की मोटाई को पहले जैसी बनाएगी।
तीन-चार वक्स्रों को जोड़कर, न्यूनतम 40 किमी प्राप्त किए जाएंगे।
प्रदेश के सभी जिलों में 666 किलोमीटर सड़कें एफडीआर तकनीक से निर्मित की जाएँगी, जिसमें खनन सामग्री का उपयोग नहीं होगा। इससे सड़क की मोटाई पहले जैसी रहेगी, पर्यावरण संरक्षित होगा, और पहाड़ों को खोदने की आवश्यकता नहीं होगी। एफडीआर तकनीक से सड़क निर्माण के लिए दस दिनों के भीतर लोक निर्माण विभाग द्वारा निविदा खोली जाएगी, इससे पहले तीन-चार वक्स्र को जोड़कर न्यूनतम 40 किमी होंगे।
एफडीआर तकनीक के लिए शर्त होगी कि कंपनी के पास सड़क निर्माण मशीनरी उपलब्ध हो, इस तकनीक से बनी सड़कों का निर्माण 666 करोड़ रुपये में होगा। यह सड़कें हिमाचल प्रदेश के चार जिलों, कांगड़ा, मंडी, बिलासपुर, और हमीरपुर में लम्बी होंगी, जबकि पांच जिलों, लाहुल-स्पीति, किन्नौर, सिरमौर, सोलन, और चंबा में इस तकनीक का उपयोग नहीं होगा।
एफडीआर तकनीक का प्रयोग से प्राप्त होने वाले लाभ
इस तकनीक से सड़क के पुनर्निर्माण से सबसे महत्वपूर्ण लाभ होगा कि परत पहले जैसी रहेगी। इससे सड़क के पास स्थित भवनों में पानी का प्रवेश नहीं होगा और न सड़क की हानि होगी। यह पर्यावरण की रक्षा करेगा और पहाड़ों से अनावश्यक रूप से रेत, पत्थर का उत्पादन नहीं करना पड़ेगा।