Hamirpur Breaking News: बस्सी पैलेस बरु में रविवार को आयोजित प्रभु कृपा दुख निवारण समागम में महाब्रह्मर्षि श्री कुमार स्वामी जी ने श्रद्धालुओं को दैवव्यपाश्रय के अलौकिक ज्ञान के बारे में विस्तार से बताया। समागम में उपस्थित डाक्टर, वैज्ञानिक और बुद्धिजीवी महाब्रह्मर्षि जी द्वारा दी गई जानकारी और उनके द्वारा किए गए चमत्कारिक दुख निवारण से आश्चर्यचकित हो गए।
महाब्रह्मर्षि जी ने बताया कि दैवव्यपाश्रय का ज्ञान सबसे पहले मां दुर्गा ने भगवान शिव को प्रदान किया, फिर यह ज्ञान महाब्रह्मर्षियों से होते हुए चरक, सुश्रुत और अन्य ऋषियों तक पहुंचा। सुश्रुत, जो दुनिया के सबसे बड़े सर्जन माने जाते हैं, ने 1100 प्रकार की सर्जरी का आविष्कार किया है और आज के सभी डॉक्टर उन्हें अपना गुरु मानते हैं।
महाब्रह्मर्षि श्री कुमार स्वामी जी ने बताया कि आधुनिक विज्ञान केवल रोगों को अस्थायी रूप से ठीक करता है, जबकि दैवव्यपाश्रय विधि से रोग जड़ से समाप्त होते हैं। उन्होंने कहा कि दैवव्यपाश्रय का ज्ञान जनकल्याण के लिए है, न कि व्यापार या किसी दुरुपयोग के लिए। इस समागम में भी श्रद्धालुओं को अवधान के माध्यम से तत्क्षण दुख निवारण की कृपा प्रदान की गई।
समागम में सामाजिक और धार्मिक संस्थाओं के प्रतिनिधियों, प्रशासनिक अधिकारियों, राजनीतिक क्षेत्र के गणमान्य लोगों के साथ हजारों श्रद्धालुओं ने भाग लिया। श्रद्धालुओं के लिए निरंतर लंगर की व्यवस्था की गई थी।
महाब्रह्मर्षि जी ने विदेश यात्राओं के दौरान अपने अनुभव साझा करते हुए बताया कि कैसे वहां के डॉक्टरों ने भी दैवव्यपाश्रय की दिव्य औषधि ‘मिरेकल वी वाश’ का प्रभाव देखा और कुछ ही मिनटों में रोगों से मुक्त हो गए। उन्होंने कहा कि मंत्र ही असली विज्ञान है और आधुनिक विज्ञान उसके समक्ष सिर्फ ज्ञान है।