Mandi News: भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आईआईटी) मंडी ने उन्नत ऊर्जा दक्षता के क्षेत्र में एक बड़ी सफलता हासिल की है, जिसमें एडवांस्ड थर्मोइलेक्ट्रिक मटेरियल का उपयोग किया गया है। आईआईटी के वैज्ञानिकों ने ऐसे थर्मोइलेक्ट्रिक पदार्थों और सुपरआयोनिक कंडक्टरों का अध्ययन किया है, जिनमें उच्च विद्युतीय और कम तापीय गुण होते हैं। यह खोज विद्युत, परमाणु और ताप विद्युत संयंत्रों, कोयला और इस्पात खनन उद्योगों, और उन्नत कंप्यूटिंग सुविधाओं में ताप प्रबंधन के लिए नई प्रौद्योगिकियों के विकास में मददगार साबित हो सकती है।
आईआईटी मंडी के शोधकर्ताओं ने थर्मोइलेक्ट्रिक मटेरियल के क्षेत्र में नवीनतम प्रगति की है, जो जटिल क्रिस्टल संरचना और खराब तापीय प्रवाहकत्त्व वाले सुपर आयोनिक कंडक्टरों का उपयोग कर थर्मल ऊर्जा संचयन में सुधार करती है। यह ऊर्जा दक्षता और स्थिरता को बढ़ावा देने में मददगार है। खाना पकाने के बर्तनों और बिजली के तारों में इस्तेमाल होने वाली धातुएं आमतौर पर अपनी उच्च तापीय और विद्युत प्रवाहकत्त्व के लिए जानी जाती हैं, लेकिन थर्मोइलेक्ट्रिक पदार्थ इनसे अलग होते हैं, क्योंकि वे गर्मी के खराब कंडक्टर होते हुए भी बिजली का कुशलतापूर्वक संचालन करते हैं। इस वजह से ये पदार्थ प्रशीतन, ऊर्जा उत्पादन, और उन्नत इलेक्ट्रॉनिक्स में ताप प्रबंधन जैसे अनुप्रयोगों के लिए उपयुक्त होते हैं।
आईआईटी मंडी के स्कूल ऑफ फिजिकल साइंसेज के डॉ. अजय सोनी और उनकी टीम ने बड़े यूनिट सेल खनिज चाल्कोजेनाइड्स का गहन अध्ययन किया है। इन पदार्थों में अद्वितीय इलेक्ट्रॉनिक और कंपन गुण होते हैं, जो तापीय प्रवाहकत्त्व को कम करके थर्मल प्रबंधन अनुप्रयोगों के लिए अत्यधिक प्रभावी बनाते हैं। डॉ. सोनी ने बताया कि उनका शोध सल्फोसाल्ट टेट्राहेड्राइट्स में अनहार्मोनिक रैटलिंग पर आधारित है, जो इन पदार्थों के तापीय प्रबंधन के अध्ययन में महत्वपूर्ण योगदान देता है। यह प्रगति थर्मोइलेक्ट्रिक मटेरियल के क्षेत्र में क्रांति ला सकती है, जिससे कुशल शीतलन प्रणालियों और ऊर्जा पुनर्प्राप्ति तकनीकों का विकास हो सकता है।
सुपरआयोनिक कंडक्टरों पर किए गए एक अलग अध्ययन में टीम ने चांदी और तांबे जैसे पदार्थों की जांच की, जो अपनी उत्कृष्ट आयोनिक प्रवाहकत्त्व के लिए जाने जाते हैं। ये पदार्थ अपनी क्रिस्टलीय संरचना के बावजूद कांच जैसे मटेरियल के बराबर तापीय प्रवाहकत्त्व दिखाते हैं, जिससे वे मध्य तापमान सीमा में ऊष्मा संचयन और भविष्य की उन्नत बैटरी प्रौद्योगिकियों और ठोस-अवस्था इलेक्ट्रोलाइट्स के लिए महत्वपूर्ण हो जाते हैं।
डॉ. सोनी ने कहा कि इस शोध से प्राप्त जानकारी ऊर्जा रूपांतरण और भंडारण उपकरणों में इस्तेमाल होने वाली सामग्रियों को बेहतर बना सकती है। यह शोध सामग्री विज्ञान और ऊर्जा प्रौद्योगिकी में एक बड़ी प्रगति को दर्शाता है। आईआईटी मंडी के वैज्ञानिकों ने यह भी स्पष्ट किया कि परमाणु कंपन तापीय प्रवाहकत्त्व को कैसे प्रभावित करते हैं, जिससे बेहतर तापीय गुणों वाली सामग्रियों को डिज़ाइन करना आसान होगा। इन खोजों में ऊर्जा प्रबंधन और स्थिरता में नवाचारों को बढ़ावा देने की अपार संभावनाएं हैं। शोध के दो पेपर प्रतिष्ठित पत्रिकाओं में प्रकाशित हुए हैं।