LokSabha Election 2024

Loksabha Election 2024: हिमाचल प्रदेश में लोकसभा चुनाव के लिए कांग्रेस के टिकट जिताऊ प्रत्याशियों की तलाश में फंस गए हैं। अब शिमला में संभावित उम्मीदवार शॉर्टलिस्ट होने के आसार कम हैं। अगले सप्ताह दिल्ली में मुख्यमंत्री सुखविंद्र सिंह सुक्खू और प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष प्रतिभा सिंह की सहमति से ही नाम तय हो सकते हैं। बागी हुए छह विधायकों के अयोग्य घोषित होने के बाद कांग्रेस के लिए प्रत्याशियों का चयन करना चुनौती भरा काम हो गया है। लोकसभा चुनाव लड़ाने को कांग्रेस के पास नेता तो अनेक हैं लेकिन पार्टी को जीत दिलाने वाले बड़े नामों की दरकार है।

कांग्रेस हाईकमान ने जनवरी के आखिरी सप्ताह में प्रदेश में लोकसभा प्रत्याशी चुनने के लिए पूर्व रेल राज्य मंत्री भक्त चरण दास को स्क्रीनिंग कमेटी अध्यक्ष बनाया था। पांच फरवरी को स्क्रीनिंग कमेटी की दिल्ली में बैठक हुई थी। इस बैठक में भक्तचरण दास के अलावा मुख्यमंत्री सुक्खू, अध्यक्ष प्रतिभा सिंह और उपमुख्यमंत्री मुकेश अग्निहोत्री शामिल हुए थे। इस बैठक में चुनाव लड़ने के इच्छुक नेताओं से आवेदन मांगने का फैसला लिया गया।
25 फरवरी को स्क्रीनिंग कमेटी के अध्यक्ष भक्तचरण दास ने शिमला में सभी आवेदकों से एक-एक कर बैठक की थी। मार्च के पहले सप्ताह में स्क्रीनिंग कमेटी की दूसरी बैठक में संभावित उम्मीदवारों को शॉर्टलिस्ट किया जाना था। लेकिन 27 फरवरी को राज्यसभा चुनाव में हुई क्राॅस वोटिंग ने प्रदेश की राजनीति में सियासी तूफान खड़ा कर दिया। इसके चलते लोकसभा चुनाव के लिए प्रत्याशी तय करने की प्रक्रिया पीछे छूट गई और सरकार बचाने की जद्दोजहद शुरू हुई।
अब प्रदेश में राजनीतिक हालात तो कुछ सामान्य हुए हैं, लेकिन चुनाव आचार संहिता भी लगने की तैयारी है। ऐसे में कांग्रेस अब बड़े नेताओं की सहमति से ही प्रत्याशियों का चयन करने की राह पर चल पड़ी है। पार्टी सूत्रों ने बताया कि संभावित है कि अगले सप्ताह प्रदेश के वरिष्ठ नेता दिल्ली में जुटेंगे और प्रत्याशियों के नाम तय कर हाईकमान को सौंपेंगे।
जल्द तय किए जाएंगे कांग्रेस के प्रत्याशी
सुक्खू मुख्यमंत्री सुखविंद्र सुक्खू ने कहा कि प्रदेश में जल्द ही कांग्रेस के प्रत्याशी तय कर लिए जाएंगे। हिमाचल प्रदेश सरकार के 15 माह के कार्यकाल के दौरान शुरू की गई योजनाओं को लेकर जनता के बीच में जाएंगे। मुख्यमंत्री ने कहा कि बीते 15 माह के कार्यकाल के दौरान प्रदेश सरकार ने आर्थिक, प्राकृतिक और राजनीतिक चुनौतियों का सामना किया है। पूर्व सरकार ने समस्याएं ही खड़ी की हैं। इन सभी बातों को चुनाव के दौरान जनता के बीच लेकर जाएंगे।

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