राजधानी शिमला का वायुमंडल लगातार प्रदूषित हो रहा है। पिछले साल के मुकाबले, इस साल के वायु गुणवत्ता सूचकांक सितंबर 2022 में 62 था, जो अब 76 हो गया है।
शिमला में प्रदूषण स्तर 2.5 है, जो विश्व स्वास्थ्य संगठन के सुझाए गए मानक से 1.6 गुना अधिक है। पिछले कुछ सालों में शहर में पर्यटन का वारदात बढ़ गया है, जो प्रदूषण के मुख्य कारणों में से एक है। नए औद्योगिक क्षेत्रों के निर्माण का भी प्रदूषण में महत्वपूर्ण योगदान है। प्रदूषण के बढ़ने से श्रय रोगों के बढ़ने की संभावना है।
हिमाचल प्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की रिपोर्ट के अनुसार, शहर में वाहनों के वाध्यमान से कार्बन डाइऑक्साइड और नाइट्रोजन ऑक्साइड का स्तर बढ़ गया है, जिसका मुख्य कारण वाहनों से निकलने वाला धुआं है। सप्ताहांत पर पर्यटकों की बढ़ती संख्या से शहर में प्रदूषण भी बढ़ रहा है। शिमला के पास शोघी और ठियोग में नए औद्योगिक क्षेत्रों के निर्माण से शहर में अमोनिया, नाइट्रोजन ऑक्साइड, और ओजोन की वायुमंडल में मात्रा बढ़ रही है।
राजधानी में हादसेबद्द निर्माण भी प्रदूषण के वृद्धि का मुख्य कारण है। ताजी हवा की जरूरत वाले शिमला के लोगों के लिए यह एक चिंता का सबब बन चुका है। वायु प्रदूषण से दमा और टीबी जैसे श्रय रोगों के बढ़ने का खतरा है। वायु प्रदूषण को कम करने के लिए पौधरोपण करने और गाड़ियों पर निर्भरता कम करना अत्यंत महत्वपूर्ण है।
एयर क्वालिटी इंडेक्स, या वायु गुणवत्ता सूचकांक, किसी क्षेत्र की हवा में प्रदूषकों की गुणवत्ता की संख्या को मापने का मानक है। इसमें विभिन्न गुणवत्ता स्तरों पर हवा की जाँच करने के बाद उसे अंकों में व्यक्त किया जाता है। 00-50 को अच्छा, 50-100 को ठीक, 200-300 को मध्यम, 300-400 को खराब, और 400 से ऊपर को खतरनाक माना जाता है।