सोलन: हिमाचल प्रदेश के सोलन शहर से आया एक खास समाचार, जिसमें सोलन के कार्डिसेप्स मशरूम के औषधीय गुणों के बारे में बताया गया है। मशरूम की खेती से हो रहे रोजगार के बढ़ते संकेत के साथ ही, सोलन के इस कार्डिसेप्स मशरूम को भी औषधीय गुणों से भरपूर माना जा रहा है। चलिए, जानते हैं कि इसे खाने के क्या हैं फायदे।
सोलन के चंबाघाट में स्थित देश का एकमात्र मशरूम अनुसंधान निदेशालय (डीएमआर) मशरूम की विभिन्न किस्मों को विकसित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है। यहां से मशरूम उत्पादन के गुर सीख कर विभिन्न राज्यों के किसान आर्थिकी सुदृढ़ कर रहे हैं और दूसरों को रोजगार भी प्रदान कर रहे हैं।
मशरूम उत्पादन में देशभर में ओडिशा, बिहार और महाराष्ट्र अग्रणी राज्य हैं, जबकि हिमाचल प्रदेश नौवें स्थान पर है। वर्ष 2016 से 2022 के दौरान, देशभर में मशरूम का उत्पादन 1.29 लाख टन से 3.08 लाख टन हो गया, जिसके लिए 7.7 लाख टन कृषि अवशेष का उपयोग हुआ और 15.4 लाख टन खाद भी तैयार हुई।
डीएमआर सोलन ने रविवार को मशरूम मेले का आयोजन किया, जिसमें बिहार की बिनिता कुमारी, महाराष्ट्र के अनिल भोकरे, जम्मू-कश्मीर के गौहर अली लोन, और असम के बसंत चिरिंग फुकन को सम्मानित किया गया।
कार्डिसेप्स मशरूम, जिसे सोलन की ओर से विकसित कीड़ा जड़ी के नाम से जाना जाता है, अपनी कीमत के साथ औषधीय गुणों के लिए पहचान बना चुका है। इसका सबसे महत्वपूर्ण गुण है कि इसके सेवन से थकावट नहीं बढ़ती। इसका अध्ययन आजकल एथलीट्स भी कर रहे हैं और इसे कोलेस्ट्रोल को कम करने के लिए भी जाना जाता है। इसका उत्पादन 22-25 डिग्री सेंटीग्रेट तापमान पर होता है और इसकी फसल वर्ष में छह बार ली जा सकती है। डीएमआर हर तीन माह में देशभर के करीब 12 उत्पादकों को इसके उत्पादन का प्रशिक्षण देता है,और इसकी उच्च कीमत के कारण इसकी कीमत प्रतिकिलो एक से डेढ़ लाख रुपये है।